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BEMS Course 2023 [हिंदी] Bachelor of Electro Homoeopathic Medicine and Surgery

BEMS Course Kya Hai aur Kaise Kare: दोस्तों! चिकित्सा पद्धतियों में कई शाखाएं होती है जैसे एलोपैथिक, होम्योपैथिक इत्यादि। जो लोग एलोपैथिक पद्धति से इलाज करना चाहते हैं उन्हें डॉक्टर बनने के लिए MBBS, MD जैसे कोर्स करने पड़ते हैं । लेकिन जो लोग होम्योपैथिक पद्धति से इलाज करना चाहते हैं उन्हें डॉक्टर बनने BEMS का कोर्स करना पड़ता है। होम्योपैथिक पद्धति इलाज की सबसे पुरानी पद्धति है यह प्राचीन काल से चली आ रही है, उस जमाने में जब वैदिक और जड़ी बूटियों का प्रयोग करके बीमारियों का इलाज किया करते थे तबसे ही होम्योपैथिक का चलन है।

आज होम्योपैथिक डॉक्टर बनने के लिए कई कोर्स अवेलेबल है लेकिन जो लोग BEMS करते हैं उन्हे होम्योपैथिक की अच्छी जानकारी हो जाती है। आज हम आपको इस पोस्ट में BEMS course kya hai, इसे kaise kare की जानकारी देने वाले हैं, इसे पढ़कर आपको इस कोर्स के बारे में सब कुछ पता चलेगा।

BEMS Course का फुल फॉर्म

BEMS का फुल फॉर्म Bachelor of Electro Homoeopathic Medicine and Surgery होता हैं। इस कोर्स के अंदर विद्यार्थियों को बेहद पुरानी प्रणाली आयुर्वेदिक, पेड़ पौधों के अर्क से दवाई बनाना और इलाज करना सिखाया जाता है। आपको बता दें इस कोर्स के दौरान विद्यार्थियों को जो कुछ भी सिखाया जाता है उससे वे अवसाद, माइग्रेशन गठिया जैसे रोगों का इलाज करते हैं।

ये ऐसे रोग होते हैं जिन्हें ठीक होने में काफी समय लग जाता है, लेकिन हमने चिकित्सा पद्धतियों में इसे ठीक करना काफी मुश्किल होता है इसलिए इस तरह की बीमारियों के लिए होम्योपैथिक की चिकित्सा पद्धति सबसे सही होती है।

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BEMS Course में एडमिशन के लिए योग्यता

Bachelor of electro homoeopathic medicine and surgery का कोर्स करने के लिए विद्यार्थियों के पास कुछ विशेष योग्यताओं का होना आवश्यक है, विशेष शैक्षिक योग्यताओं के बिना वे BEMS में एडमिशन नहीं ले सकते।

  • वे विद्यार्थी जो BEMS कोर्स करना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से 10वी और 12वीं की परीक्षा पास करनी होगी।
  • 12वीं में उनके पास साइंस स्ट्रीम के फिजिक्स और केमिस्ट्री और बायोलॉजी जैसे विषय होने चाहिए।
  • BEMS करने के इच्छुक विद्यार्थियों को कोशिश करनी चाहिए कि 12वीं में उनके कम से कम 60 से 65% मार्क्स जरूर आए।
  • इसके साथ साथ विद्यार्थी को अंग्रेजी विषय की अच्छी नॉलेज होनी चाहिए।
  • विद्यार्थी की आयु सीमा 16 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।

BEMS Course

BEMS कोर्स की अवधि

BEMS कोर्स को पूरा करने में लगभग 4.5 साल का समय लगता है। जिनमें 4 साल तक तो थ्योरी पढ़ाई जाती है, बाकी के 6 महीनों में इंटर्नशिप कराई जाती है, ताकि विद्यार्थी वास्तविक अनुभव से सीख सकें।

4 सालों के थ्योरी कोर्स को 6 – 6 महीने के सेमेस्टर में बांटा गया है, इसका अर्थ यह है कि विद्यार्थियों को हर 6 महीने के बाद परीक्षा देनी होगी। इन परीक्षाओं के पास करने के बाद ही अगले सेमेस्टर में एडमिशन लिया जाता है। जब विद्यार्थी 4 साल का अकैडमी कोर्स अच्छे अंको से पास हो जाते हैं, तब उन्हें कॉलेज की तरफ से इंटर्नशिप पर भेजा जाता है। जब तक विद्यार्थी 6 महीने की इंटर्नशिप को पूरी नहीं कर लेते हैं तब तक उन्हें कॉलेज द्वारा डिग्री और मार्कशीट नहीं दी जाती है।

इंटर्नशिप के नंबर भी मार्कशीट में जोड़े जाते हैं, विद्यार्थियों को इंटर्नशिप के मार्क्स हॉस्पिटल की अथॉरिटी द्वारा दिए जाते हैं इंटर्नशिप के दौरान जांच की जाती हैं कि विद्यार्थियों को कितनी जानकारी है और वह मरीजों के साथ किस तरह व्यवहार कर रहे हैं किस तरह से उनके साथ कम्युनिकेट कर रहे हैं,इन सब के आधार पर उन्हें इंटर्नशिप में मार्क्स दिया जाता है।

BEMS कोर्स में एडमिशन की प्रक्रिया

BEMS मैं प्रवेश के लिए मुख्यतः दो रास्ते होते हैं

पहला छात्रों की मेरिट लिस्ट द्वारा एडमिशन और दूसरा एंट्रेंस एग्जाम द्वारा एडमिशन ।

मेरिट लिस्ट द्वारा एडमिशन

BEMS में एडमिशन के लिए छात्रों के 12वीं के अंक देखे जाते हैं जिन छात्रों के अंक ज्यादा होते हैं उन्हें सरकारी संस्थानों में प्रवेश मिलता है जबकि कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को प्राइवेट संस्थानों में एडमिशन मिलता है।

एंट्रेंस एग्जाम द्वारा एडमिशन

BEMS एंट्रेंस एग्जाम द्वारा एडमिशन लेने के लिए छात्रों को कॉलेजों में आवेदन करना पड़ता है। आवेदन करने के बाद एग्जाम की डेट निकाली जाती है, तय समय पर परीक्षा देने के बाद जिन छात्रों के अंक ज्यादा आए होते हैं उन्हें कॉलेज में एडमिशन दिया जाता है।

निजी संस्थानों में प्रवेश

BEMS कोर्स कराने के लिए कई निजी संस्थान भी है जहां न तो कोई एंट्रेंस एग्जाम देना होता है न हीं कोई मेरिट लिस्ट चेक की जाती है। इन संस्थानों में छात्रों को डायरेक्ट प्रवेश दिया जाता है हालांकि इनकी फीस काफी ज्यादा होती है।

BEMS कोर्स के लिए फीस और बेस्ट कॉलेज

भारत में एक सामान्य छात्र को BEMS की डिग्री हासिल करने के लिए 50 हज़ार से लेकर 1लाख तक की फीस भरनी पड़ सकती है। हर कॉलेज का अपना-अपना फीस स्ट्रक्चर होता है। हालांकि सरकारी कॉलेज में फीस काफी कम ली जाती है, लेकिन प्राइवेट संस्थानों में फीस ज्यादा होती है।

BEMS के लिए भारत के बेस्ट कॉलेज निम्न है –

  • Vivekanand medical institute of electropathy and research center, Ahmednagar
  • DCM institute of medical and paramedical technology, Amritsar
  • Punjab medical institute and hospital of electropathy
  • Karunya Medical College of electropathy Kanyakumari

BEMS Course कंप्लीट हो जाने के बाद जॉब

Bachelor of electro homoeopathic medicine and surgery में स्नातक कर लेने के बाद आप मेडिकल फील्ड में निम्न पदों पर काम कर सकते हैं और अर्निंग कर सकते हैं

होम्योपैथिक डॉक्टर

एक होम्योपैथिक डॉक्टर के रूप में आप चाहे तो अपना क्लीनिक खोल सकते हैं या फिर सरकारी अथवा प्राइवेट अस्पतालों में निकलने वाली वैकेंसी के द्वारा होम्योपैथिक डॉक्टर के रूप में नियुक्त होकर जॉब कर सकते हैं।

होम्योपैथिक डॉक्टर के सहायक

आप चाहे तो अच्छा अनुभव प्राप्त करने के लिए किसी अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर को assist कर सकते हैं, उनके क्लीनिक में उनके साथ काम करके आप काफी कुछ सीख सकते हैं, फिर उसे अपनी ग्रोथ में इस्तेमाल कर सकते हैं।

हेल्थ क्लेम मैनेजर

एक हेल्थ क्लेम मैनेजर के रूप में आप लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में जानकारी देकर उन्हें जागरूक कर सकते हैं, अथवा सरकार द्वारा हेल्थ के क्षेत्र में जो भी नई स्कीम निकाली जा रही है उनके बारे में लोगों को जागरूक कर सकते हैं।

मेडिकल कोडर

आप एक मेडिकल कोडर के रूप में काम कर सकते हैं जो कि मरीजों की रिपोर्ट ,उनके डाटा , डॉक्टर के सभी इंपोर्टेंट नोट्स पर्चियां इत्यादि रखरखाव करते हैं। यह नौकरी आपको किसी भी हॉस्पिटल अथवा क्लीनिक में आसानी से मिल जाएगी।

टीचर और लेक्चरर

अगर आप होम्योपैथिक डॉक्टर उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं तो आप एक टीचर के रूप में भी काम कर सकते हैं, BEMS के बच्चों को पढ़ा कर आप लेक्चरर बन सकते हैं।

MR के रूप मे

BEMS कोर्स करने के बाद विधार्थी MR यानी Medical representative  के मैं भी काम कर सकते हैं इस फील्ड में काम करने से उन्हें दवाइयों की अच्छी नॉलेज हो जाएगी जो कि उनके आगे के प्रोफेशन में काफी काम आएगी। MR के रूप में काम करने से वे मेडिसिन मार्केट को अच्छी तरह समझ पाएंगे।

BEMS कंप्लीट हो जाने के बाद के बेस्ट कोर्स

BEMS कुछ कर लेने के बाद अगर आप नौकरी करना चाहते हैं तो आप किसी भी हॉस्पिटल या संस्थान में आसानी से नौकरी पा सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करें तो  इसके लिए आपके सामने कई विकल्प उपलब्ध हैं ,आप निम्न कोर्स को करके BEMS डिग्री में अच्छी अच्छी नॉलेज पा सकते हैं।

  • MD (Doctor of Medicine in Homoeopathy)
  • Ph.D. ( Doctor of Philosophy in Homoeopathic)
  • PGDHSM (Post Graduation in Homeopathic Medicine and Surgery)
  • MD (Practice of Medicine Homeopathic)

BEMS कोर्स कर लेने के बाद सैलरी कितनी होती है?

कोई भी  विद्यार्थी जिसने BEMS का कोर्स कंप्लीट किया है उसकी शुरुआती सैलरी कम से कम 30 हजार प्रति माह होती है।

कुछ समय तक इस फील्ड में काम कर लेने और अनुभव प्राप्त कर लेने के बाद सैलरी करीब 50 से 80 हज़ार तक भी पहुंच सकती है। इस कोर्स में अलग-अलग पद पर काम करने वाले लोगों के लिए अलग-अलग सैलरी तय की गई है।BEMS करने के बाद अगर आप खुद के क्लीनिक से काम करते हैं तो यहां से भी आपके लिए काफी अच्छी अर्निंग होती है।

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निष्कर्ष

दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको हमारी पोस्ट BEMS course kya hai अच्छी लगी होगी आप अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें, साथ ही इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि वह भी BEMS कोर्स के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें

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